तेरे दामन से लिपट कर मुझे रो लेने दे
तेरा हो
जाऊं ऐसे
खुद को
खो लेने दे!
बारहां वक
करता है
बिछड़ने का
मौसम
कुछ पल
जो मिले है उन्हें पिरो लेने दे!
किसको दिखलाऊं दिल के
टूटे हुये टुकड़े
मेरे जज़्बात के मुखड़ों को भिगो लेने दे!
आईने में
दिखे तुझको चमकती सूरत
तेरे अश्कों को मेरे होंठों पर
सँजो लेने दे!
तनहा आख़िर कब तक
गुनगुनाये ‘अमर’
बीते लम्हें ही सही
ख़ुद को
फ़िर डुबो लेने दे!
-अमर कुशवाहा
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