आँसमां के शिखर पर एक सपना बसाया है
फूलों के रंग भरकर उसे सजाया है
खुशियों की चिड़ियों ने उसमे घोंसले बनाये हैं
रिमझिम मेघ से वे रात-दिन नहाये हैं!
रोज सुबह सूरज लालिमा बिखराता है
चाँद भी सांझ पहर से पहरा दे जाता है
झींगुरों की आवाज से स्तब्ध गुंजायमान है
प्रकृति की नजर में भी वो घर महान है!
हर पल चंचलता का साम्राज्य हुआ लगता है
राहगीरों का झुण्ड कुछ पल वह ठहरता है
मेरे सपने से उनके सपने भी पूरे होते हैं
सपनों में मेरे खुश हो कुछ पल तो वो सोते हैं!
-अमर कुशवाहा
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