Tuesday, June 21, 2016

एक सपना

आँसमां के शिखर पर एक सपना बसाया है
फूलों के रंग भरकर उसे सजाया है
खुशियों की चिड़ियों ने उसमे घोंसले बनाये हैं
रिमझिम मेघ से वे रात-दिन नहाये हैं!


रोज सुबह सूरज लालिमा बिखराता है
चाँद भी सांझ पहर से पहरा दे जाता है
झींगुरों की आवाज से स्तब्ध गुंजायमान है
प्रकृति की नजर में भी वो घर महान है!


हर पल चंचलता का साम्राज्य हुआ लगता है
राहगीरों का झुण्ड कुछ पल वह ठहरता है
मेरे सपने से उनके सपने भी पूरे होते हैं
सपनों में मेरे खुश हो कुछ पल तो वो सोते हैं!


-अमर कुशवाहा

No comments: