Saturday, June 18, 2016

भरोसा

मुझे बस यूँ भुलाकर तुम जिधर जाओगे

हर तरफ ही तेज हवायें हैं बिखर जाओगे!

 

कबके मोड़ी हैं मैंने सब राहें बस तेरी तरफ़

अब बताओ बच के मुझसे किधर जाओगे!

 

होगा भीड़ का सैलाब तुम्हारे चारों तरफ

तुम एक आईने से केवल निखर जाओगे!

 

रेत से सने हुये हवाई महल हैं जहाँ

जरा सी आह से ही वहाँ सिफ़र जाओगे!

 

कब तक तुम्हें पैमाने में बाँध रखेअमर

तुम तो दरिया हो एक दिन बिफ़र जाओगे!

-अमर कुशवाहा

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