Tuesday, June 12, 2018

शेष...

कुछ शेष, शेष रह गया मन में

उर बीच बहते पनारों में

बस एक दुपट्टा गुलाबी रंग का

और एक नज़र सवाल भरा!

 

षड्ऋतुओं के षड्यंत्र-जाल

भारी वर्षा और चक्रवात

फ़िर भी न उड़ा, लिपटा ही रहा

बस एक दुपट्टा गुलाबी रंग का!

 

चेतन पर नियंत्रण है सबका

अचेतन को बस में करे कौन?

और एक नज़र सवाल भरे पर

मन को स्वीकार वर्षों का मौन!

 

जीवन के शेष बचे पन्नों पर

यह शेष हमेशा शेष रहेगा

बस एक दुपट्टा गुलाबी रंग का

और एक नज़र सवाल भरा!


-अमर कुशवाहा