अब्र पर तेरा अक्स मैं उभारता रहूँ
सितारों को
जमीं पर
उतारता रहूँ!
रात में
आओ पर
चाँद बनकर आओ
छू सकूँ न तुम्हें दूर से
निहारता रहूँ!
वादा करो
मगर आओ
कभी नहीं
हर उम्र तेरी याद
में मैं
गुजारता रहूँ!
ग़र सुन
भी लो
तो झुठला दो मुझे
नाम तेरा बार-बार
मैं पुकारता रहूँ!
ठोकरें दो
पर न
टूटे आशियाँ ‘अमर’
तस्वीर तेरी देख सपने सँवारता रहूँ!
-अमर कुशवाहा