Friday, October 9, 2015

सँवारता रहूँ

अब्र पर तेरा अक्स मैं उभारता रहूँ

सितारों को जमीं पर उतारता रहूँ!

 

रात में आओ पर चाँद बनकर आओ

छू सकूँ तुम्हें दूर से निहारता रहूँ!

 

वादा करो मगर आओ कभी नहीं

हर उम्र तेरी याद में मैं गुजारता रहूँ!

 

ग़र सुन भी लो तो झुठला दो मुझे

नाम तेरा बार-बार मैं पुकारता रहूँ!

 

ठोकरें दो पर टूटे आशियाँअमर

तस्वीर तेरी देख सपने सँवारता रहूँ!


-अमर कुशवाहा