Tuesday, March 29, 2022

अपने-अपने क़िरदार

काश!
कभी-कभी
हम बदल पाते
अपने-अपने क़िरदार!

तो शायद मैं जान पाता कि,
अचानक से तुम्हारी आँखों में
आँसूं क्यों आ जाते हैं?
तो शायद तुम जान पातीं कि,
मैं इतना बातूनी होकर भी यूँ हीं
चुप क्यों हो जाता हूँ?

तो शायद मैं जान पाता कि,
तुम इतनी बातूनी होकर भी
अक्सर चुप क्यों रह जाती हो?
तो शायद तुम जान पातीं कि,
किसी भी बात पर मेरी आँखों में
आँसूं क्यों नहीं आते?

काश!
कभी-कभी
हम बदल पाते
अपने-अपने क़िरदार!

Tuesday, March 8, 2022

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

बस थोड़े ही देर में जब

घड़ी रात के बारह बजायेगी

तो विलुप्त हो उठेंगे

वो पंक्तियाँ, वो संदेश

ठीक किसी एंडेंजर्ड स्पेसीज़ की तरह

चलो डायनासोर ही मान लो!


कल सुबह से पुनः

लोग माँगेंगे राम-राज्य

सीता-राज्य की बात तो

किसी कल्पना में न होगी!


कल सुबह से पुनः

लोग माँगेंगे एक-कप चाय

प्रश्न करेंगे थोड़ी सी ही देर होने पर!


कल सुबह से ही पुनः

माँ रसोई में खटती रहेगी

बहनों के कपड़े देखे जाएँगे!


कल सुबह से ही पुनः

तुम्हारी नौकरी को आर्थिक स्वतंत्रता कहकर

कोई तुम्हारे अर्थ पर पूर्ण नियंत्रण रखेगा!


कल सुबह से ही पुनः

तुम भूल जाओगी

कि तुम भी मनुष्य हो!

कि प्रश्न करना ही

मानव होने का पहला धर्म है!


यदि, केवल आज के दिवस पर तुम इठलाओगी

तो भूलो मत! याद रखो!

गिद्ध हैं और भेड़िए भी हैं चारों तरफ़

तुम्हें नोंच-खाने के लिए!


केवल आज की मीठी चाशनी में मत घुल जाना

तुम्हें हथियार बनना होगा

हर दिन लड़ना होगा

प्रत्येक दिन ऊपर उठना होगा

यह साबित करने के लिए

कि तुम भी मनुष्य हो

कदाचित् मानवों में भी श्रेष्ठ!


-अमर कुशवाहा