Monday, June 6, 2022

नया मापदंड

पुरानी पंक्तियाँ फ़िर से दुहराईं गयीं
पुरानी कहानियाँ फ़िर से सुनाईं गयीं
पुरानी तलवारें फ़िर से निकाले गये

पुरानी ग़लतियाँ फ़िर से दिखलाईं गयीं!


किसी ने प्रश्न नहीं किया
उन्हें तो प्रयोजन थाकेवल
पुरानी पंक्तियों से,
पुरानी कहानियों से,
पुराने तलवारों से,
पुरानी ग़लतियों से!


और इस तरह वर्तमान में
तथ्यों का गला कुचला गया
किसभ्यता  जाने
कितने ही पग पीछे जाकर
ठीक उसी मोड़ पर खड़ी हो गयी
जब वह असभ्यता कही जाती थी!


अब बस ताकतीं है
वर्तमान की आँखेंऔर
आँसुओं के सैलाब में
बची है बस एक कहानी
कहाँ को जाना थाऔर
सब किधर चले आये?
-अमर कुशवाहा