Tuesday, May 15, 2018

प्रेम की पाती...

जामा की ग़र बात चले तो रूह में अपना तन रख देना

जब हर्फ़ों की बात चले तो उसमें अपना फ़न रख देना!

 

जब हो मरुथल की तीव्र वायु स्पष्ट सा कुछ दिखता हो

बस सादा कागज़ एक उठाकर उसमें अपना मन रख देना!


पर ध्यान रहे केवल इतना कि अश्रु गिरे कागज़ पर

लिख स्पष्ट सुरक्षित भाव लिफ़ाफ़े में चमन रख देना!


पता लिखना तुम कुछ भी हवाओं को ईर्ष्या हो जायेगी

चिट्ठी उड़ाने से पहले कंगन की खन-खन रख देना!


प्रेम की पाती उस तक पहुँचें जिसके दिल में प्रेमअमर

यह हवा की ज़िम्मेदारी है बस इतना बंधन रख देना!


-अमर कुशवाहा