अधीर-नैन, प्रतीक्षारत, प्रिय-दर्शन
कंपित-अधर,
लाल-कपोल, खुले-लोचन
लाज-आँचल, केश-सुशोभित, मन-चंचल
कुमकुम-सजे,
स्वप्निल-ह्रदय, तन-शीतल
जेठ-प्रहर, अग्नि-लहर,
जलता-वेग
निर्निमेष-पथ,
आँच का
नहीं खेद
उड़ती-धुंध, व्यस्त-समर,
दृढ़-गान
सिंदूरी-माँग, प्रेम का
संकल्पित प्रमाण
सुर-मधुर, लय-धीर,
ताल-अकाट
दो सरिता, दो लहर,
किन्तु एक
पाट
साँझ-धुंधलका, नभ-लाल,
क़दम-राग़
चमक मुख
पर, लाली छायी, धुला विराग
दृग-जल,
छलक-छलक
बहे कपोल
बीती अमावास, घुला कर्ण सुन प्रिय-बोल!
-अमर कुशवाहा