Friday, June 14, 2013

अनामिका

 अधीर-नैन, प्रतीक्षारत, प्रिय-दर्शन

कंपित-अधर, लाल-कपोल, खुले-लोचन

लाज-आँचल, केश-सुशोभित, मन-चंचल

कुमकुम-सजे, स्वप्निल-ह्रदय, तन-शीतल

जेठ-प्रहर, अग्नि-लहर, जलता-वेग

निर्निमेष-पथ, आँच का नहीं खेद

उड़ती-धुंध, व्यस्त-समर, दृढ़-गान

सिंदूरी-माँग, प्रेम का संकल्पित प्रमाण

सुर-मधुर, लय-धीर, ताल-अकाट

दो सरिता, दो लहर, किन्तु एक पाट

साँझ-धुंधलका, नभ-लाल, क़दम-राग़

चमक मुख पर, लाली छायी, धुला विराग

दृग-जल, छलक-छलक बहे कपोल

बीती अमावास, घुला कर्ण सुन प्रिय-बोल!


-अमर कुशवाहा