सजल हो रहे नैन मेरे ऐसे सपने बिखरे हैं
मिट चुका है धुंधलापन अंतर्मन ऐसे निखरे हैं
थी घनघोर अँधेरी और घटाओं सी वो काली रात
मिट चुका है धुंधलापन अंतर्मन ऐसे निखरे हैं
निर्दिष्ट पड़े थे सदियों से तुने मुझको जीवन दिया
थे अश्कों के जब तेज तूफ़ान सपनों से तुने थाम लिया
तेरे लिए ही तो जीवन है ये सोच के हम सवरें हैं
मिट चुका हैं धुंधलापन अंतर्मन ऐसे निखरे हैं
मुझको भूली न बात अभी किया था तुमने जो जीवन में
भूल ही जाओ भले तुम न भूलेंगे तुम्हें हम किसी पल में
है वादा तुमसे ये मेरा ऐसे ही हम सपरें हैं
मिट चुका हैं धुंधलापन अंतर्मन ऐसे निखरे हैं!
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