तमन्ना उठी दिल में आज फिर-फिर
लहर उठी जैसे साहिल को ढूँढने
मुश्किल था दिल को समझाता कैसे?
थोडा समय लंबा सफर था लगा चलने!
सपने पूरे हों तो मंजिल को पहंच जाऊं
और तमन्ना मेरी हो कुछ ऐसा कर जाऊं
प्रतिकूल समय है पर दृढ़ निश्चय है मेरा
लक्ष्य है वही सपनों का नया सवेरा!
उठना है विहान में आगे ही बढ़ना है
क्यूँ हारूं क्यूँ थकूं पहाड़ों पर चढ़ना है
चलने को नया पग चट्टानों से लड़ना है
प्यार भरे एक नए इतिहास को रचना है!!!
-अमर कुशवाहा
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