कैसे थे वे जिंदगी के सुनहरें दिन
कटता नहीं था एक भी पल तुम्हारे बिना
आज उन्हीं दिनों को याद कर
मैं एक बार फिर
बहुत रोया हूँ !
बैठा था कुछ लिखने पर
मैं तो उन्हीं ख्यालों में खोया हूँ
वक्त बीत जाता है
थमता नहीं
मेरा मन है भटका हुआ
कहीं एक जगह जमता नहीं!
यादों के सिलसिले चलते रहेंगे
जगाना नहीं मुझे..
मैं अभी-अभी तो सोया हूँ!
आज उन्ही दिनों को याद कर
मैं एक बार फिर
बहुत रोया हूँ!!!
-अमर कुशवाहा
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