क्या ऐसी कोई जगह नहीं
जहाँ विचार असमान न हो
क्या ऐसी कोई वस्तु नहीं
जिसको पाने की चाह न हो!
क्या ऐसी कोई रीत नहीं
जिसको न पूरा करना हो
क्या ऐसी कोई गंगा नहीं
जिसमे जीवन का बहाव न हो!
क्या ऐसा कोई मन्त्र नहीं
जिसमे किसी की मात न हो
क्या ऐसा कोई वसंत नहीं
जिसके पहले पतझड़ न हो!
क्या ऐसा कोई समय नहीं
जिसका कोई अंत न हो
क्या ऐसा कोई प्यार नहीं
जहाँ प्राप्ति की मार न हो!
अब कहाँ-कहाँ मैं किसको खोजूं
-अमर कुशवाहा
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