मन उदिघ्न है आज
छाये हैं काले मेघ
सावन बरस रहा रिमझिम
व्यक्त कर रहा
मेरे ह्रदय का भाव !!
क्यों हैं वैसा?
क्यों हुआ है ऐसा?
पहले भी तो बरसे थे बादल
पहले भी तो थे छाये मेघ
फिर क्यों उलझन में हैं मन !!
छाये हैं काले मेघ
सावन बरस रहा रिमझिम
व्यक्त कर रहा
मेरे ह्रदय का भाव !!
क्यों हैं वैसा?
क्यों हुआ है ऐसा?
पहले भी तो बरसे थे बादल
पहले भी तो थे छाये मेघ
फिर क्यों उलझन में हैं मन !!
-अमर कुशवाहा
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