Friday, June 24, 2016

उलझन

मन उदिघ्न है आज
छाये हैं काले मेघ
सावन बरस रहा रिमझिम
व्यक्त कर रहा
मेरे ह्रदय का भाव !!

क्यों हैं वैसा? 
क्यों हुआ है ऐसा?
पहले भी तो बरसे थे बादल
पहले भी तो थे छाये मेघ
फिर क्यों उलझन में हैं मन !!

-अमर कुशवाहा

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