Saturday, June 18, 2016

मिलन

हर विम्ब में दिखती तेरी झलक
हर भजन में सुनता तेरा अलख
हर रूप में दिखता है तू अब
बता! जरा मिलेंगे हम कब?
 
सावन तेरे लिए आया है
फूल हैं तेरे लिए खिलें
झूले तुझको ढूँढ रहे हैं
बता! कौन से मौसम में मिलें?
 
बिखराती हवा है तेरी खुशबू
झुकी कदम्ब है तेरी काया
सूरज  की चमक तेरे चेहरे से
बता! तू क्यूँ मिल नहीं पाया?
 
चिड़ियों के हर गान में तू है
मुस्कान में तेरा ही व्यवहार
शीतलता तुझसे चंदा में
बता! मिलन का कब त्यौहार?

 -अमर कुशवाहा

No comments: