Tuesday, June 21, 2016

क्या करूँ

क्या करूँ?
जब कोई चाहत हो दिल में छुपी 
बात जुबां तक पहुंची न हो अभी 
कब तक ही यूँ मायूस रहूँ मैं 
खुशी भी है आज गम तले दबी 



क्या करू?
जब प्यार किसी से हो जाये 
चाहकर भी उसका इजहार हो न पाए 
अब तो रात भी गुजरती नहीं कि 
उसके प्रेम का सूरज मेरे दिल में समाएं 



क्या करू?
जब उसके होंठो पर एक मुस्कान खिले 
प्यार के मांझी को कोई साहिल न मिले 
अब और न इन्तजार होगा हमसे 
आएगा कब वो दिन जब कोई जख्मों को सिले 


क्या करू?
जब दिल की बात आँखों में आंसू बन कर टपक जाता है 
एक बंजर रेगिस्तान पर तूफ़ान आ जाता है 
नदी के दो किनारें कभी मिलते नहीं,लेकिन 
सामने होते हुए भी वक्त तनहा गुजर जाता है 


क्या करूँगा?

जब तुम हमसे बिछुड़ जाओगे 
दूर रहकर तुम हमें और भी याद आओगे 
पूंछता हूँ एक प्रश्न अब मई सिर्फ तुमसे 
क्या कभी मुझसे तुम खुद को अलग कर पाओगे?

-अमर कुशवाहा

No comments: