Tuesday, June 21, 2016

हमारा घर

तेरे यादों के झरोखों से एक आशियाना बनाऊँगा मैं 

ख़ुशियों की बरसात होगी और खुद गीत गाऊँगा मैं!

 

पंक्षियों की मधुर धुनें उस घर का बंदनवार बनेंगी 

रूठ गये कहीं तुम अग़र गाकर तुम्हे मनाऊँगा मैं!

 

बारिश की वो लंबी रातें बारिश के ही दिन होंगे 

बारिश जैसी अनुभूति हर पल तुम्हे कराऊँगा मैं!

 

सूरज सा चमकेगा घर-आँगन चंदा सा शीतल होगा

गुलाब के फूलों को चुन तुम्हारी सेज सजाऊँगा मैं!

 

स्वच्छ सुसज्जित और सफ़ल जीवन होगा उस घर में

देखकर तेरी सुंदरता हरपल ख़ुद पर ही इतराऊंगा मैं!

 

ग़ुलाब चमेली और बेला से महका हुआ वो घर होगा

दुनिया कितनी सुंदर है सब लोगों को दिखलाऊँगा मैं!

 

यादों से बने घर को तेरी ही अभिलाषा होगीअमर

जन्म सफल होगा मेरा जब तुम्हे हार पहनाऊंगा मैं!


-अमर कुशवाहा

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