कोई तो हो जो भावों को समझे
कोई तो हो जो रिश्तों को समझे
कोई तो हो जो सबमें सिमटे
कोई तो हो जिसे अपना कहूँ?
कैसे-कैसे विचार हैं
उत्तरों में भी सवाल हैं
जहान तो विशाल है
पर मन क्यूँ कंगाल है?
कब तक भागूँ इनके पीछे?
कब तक रहूँ जड़े सींचें?
कब तक रखूं ह्रदय से भीचें?
कब तक खुद को बंद रखूं?
आखिर कब तक???
-अमर कुशवाहा
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