Friday, June 24, 2016

आदमी

इस मशीनी युग में अब खो गया है आदमी

अपने कद से भी छोटा हो गया है आदमी!

 

ऊँगली जरा कटने पर पहले चीख लेता था

मौत से भी खूंखार अब हो गया है आदमी!

 

गिरने से पहले जो हाथ उसे संभाल लेते थे

रोते-हुए माँ-बाप को अब छोड़ गया है आदमी!

 

पहले कभी चाहे कोई तो उससे मिल सकते थे

चीन की दीवार जैसा अब हो गया है आदमी!

 

इंसानियत की दुहाई दुनिया दिया करती थी

शैतान जैसा अब तो कुछ हो गया है आदमी!

-अमर कुशवाहा

No comments: