इस मशीनी युग में
अब खो
गया है
आदमी
अपने कद
से भी
छोटा हो
गया है
आदमी!
ऊँगली जरा
कटने पर
पहले चीख
लेता था
मौत से
भी खूंखार अब हो
गया है
आदमी!
गिरने से
पहले जो
हाथ उसे
संभाल लेते थे
रोते-हुए
माँ-बाप
को अब
छोड़ गया
है आदमी!
पहले कभी
चाहे कोई
तो उससे मिल सकते थे
चीन की
दीवार जैसा अब हो
गया है
आदमी!
इंसानियत की
दुहाई दुनिया दिया करती थी
-अमर कुशवाहा
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