बहुत कुछ बदला है पिछले कुछ सालों में
हवा का रुख और बदलाव है ख्यालों में
बदला हुआ नीला गगन बदल गयीं हैं दिशाएं
बदल चुकी है पीढ़ी और अब बदली है धाराएं!
सावन की वो डाल भी बदली बदल गया है झूला भी
रिश्ते बदले नाते बदले बदल गया है अब घर भी
हाथों का स्पर्श भी बदला बदला ह्रदय का स्पंदन
सुर बदले हैं ताल भी बदले बदल चुका है मन!
वाणी बदली रूप भी बदला बदला है अंदर का अस्तित्व
इर्ष्या बदली द्वेष भी बदला बदला है अपना भी मित्व
भूख भी बदली प्यास भी बदला बदला है क़दमों का वेग
नींद बदली दीवारें भी बदली बदला जीवन का संवेग!
कर्म भी बदले धर्म भी बदला बदली अनंत की परिभाषा
आवाहन बदला छाया बदली बदल चुकी मिलन की आशा
आभा बदली कांति भी बदली बदलाव हर सुध में है
-अमर कुशवाहा
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