एक बात मेरी एक रात मेरी
जब तन्हाई में याद करोगी
एक ऐसा भी लड़का था
मुझे प्रेम जो करता था!
अभी तो चंचल यौवन है
कसा हुआ हर अंग-अंग है
नैन-नक्श सब तीखे हैं
केशों का रंग सुनहरा है!
जब ये यौवन ढल जायेगा
हर अंग ढ़ीला पड़ जायेगा
नैन-नक्श भी फीकें हो जायेंगे
केश सफ़ेद हो जायेंगे
फ़िर याद करोगी तन्हाई में
एक बात मेरी एक रात मेरी
एक ऐसा भी लड़का था
मुझे प्रेम जो करता था!
कुछ और साल जो बीतेंगे
हाथ तुम्हारे पीले होंगे
किसी की भाभी किसी की मामी
पल भर में तुम बन जाओगी!
रिश्ते होंगे चारों तरफ़
फ़िर भी ख़ुद को अकेला ही पाओगी
न मन की सुनेगा बात कोई
ढूँढ उठोगी कोना-कोना
फ़िर याद करोगी तन्हाई में
एक बात मेरी एक रात मेरी
एक ऐसा भी लड़का था
मुझे प्रेम जो करता था!
धीरे-धीरे उमर ढलेगी
बच्चों के भी बच्चे होंगे
एक शाम अचानक ऐसे ही
घर में जब सिर्फ़ पोती होगी
चुपके से पीछे तुम्हारे जाकर
गले में बाहें डाल पड़ेगी!
‘कहा था दादी तुमनें एक दिन
मुझको कहानी सुनाओगी!’
उसको कहानी सुनानते-सुनाते
माथे को उसके सहलाओगी
प्यार भरी थपकी पाकर
जब नन्हीं गुड़िया सो जायेगी!
फ़िर याद करोगी तन्हाई में
एक बात मेरी एक रात मेरी
एक ऐसा भी लड़का था
मुझे प्रेम जो करता था!
-अमर कुशवाहा
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