क्या होते हैं
शब्दों के बंधन?
मैंने परखा है अक्सर!
कोई भारी-भरकम सा कहता
कोई बस केवल कह जाता
किसके हैं शब्द मूल्यवान?
कोई कुछ भी न कह पाता
कोई समय की ताक़ में रहता
किसके शब्दों में हैं जान?
शब्दों के केवल कीमत लगते
मूल्य तो केवल भावों का है
भावरहित या भावसहित?
निर्भर नहीं यह वक्ता पर
काम है उसका कहते जाना
अविचल, निर्मल और प्रखर!
भावरहित या भावसहित?
यह तो श्रोता का गुण है
-अमर कुशवाहा
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