नहीं! मुझे पूरा यकीन है! मैं तुम्हें प्रेम नहीं करता!
लेकिन अमावस की भयानक अँधेरी रात में
जब भी कभी बिजली गुल हो जाती है
तो अक्सर पाया है मैंने तुम्हें
मेरा हाथ थाम कर
मुझे अँधेरे से बाहर निकालते हुये!
नहीं! मुझे पूरा यकीन हैं! मैं तुम्हें प्रेम नहीं करता!
लेकिन जीवन के प्रत्येक कठिन परीक्षाओं में
जब भी हारने से घबरा उठता हूँ
तो अक्सर पाया है मैंने तुम्हें
मुझसे लिपट कर
मेरे माथे को सहलाते हुये!
नहीं! मुझे पूरा यकीन है! मैं तुम्हें प्रेम नहीं करता!
लेकिन हमारे-तुम्हारे इस अन्जान रिश्ते के मध्य
जब भी कभी दूर होती दिखती हो
तो अक्सर पाया है मैंने तुम्हें
अपने हाथों से
मेरे आंसुओं को पोंछते हुये!
-अमर कुशवाहा
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