क़लम की अदाकारी में देखो क़माल क्या है?
घोंप कर खंज़र पहले तसल्ली कर लेते हैं
वही फ़िर पूछते हैं मुझसे कि हाल क्या है?
मुद्दतें बदली तो हर बार नये सितमगार हुये
सहने वालों की आख़िर यहाँ मज़ाल क्या है?
झूठे आँकड़े हैं फिर से फ़ाईलों की गवाही में
पुराने क़ायदें हैं फ़िर यह मचा बवाल क्या है?
जवाबों से ख़ुदाया को है परहेज़ क्यों 'अमर'
बुझती आँखों में सबके ऐसा सवाल क्या है?
-अमर कुशवाहा
जवाबों से ख़ुदाया को है परहेज़ क्यों 'अमर'
बुझती आँखों में सबके ऐसा सवाल क्या है?
-अमर कुशवाहा
2 comments:
बहुत ही शानदार।
Thank you Jija Ji...
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