Saturday, July 25, 2020

अनकहे अल्फ़ाज


ख़्वाबों के टूट जाने का अपना भरम होता है

किसको कितना मिला अपना करम होता है!


जरा फ़रेब पर ही दिल बिखर जाता है

आख़िर शीशे का भी अपना धरम होता है!


कोई क़रार मगर राजदार ज़रूर है

सबका कोई अपना मोहतरम होता है!


कोई कैसे ख़ुद को रोके हर क़ज़ा से पहले

क़ातिल--निगाह का अपना शरम होता है!


जुबाँ तक आकर रुक जाये तो अच्छा हैअमर

अनकहे अल्फाजों का अपना मरम होता है!

-अमर कुशवाहा

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