Friday, September 14, 2018

ग़म का दरिया...

ग़म का दरिया उतर क्यों नहीं जाता?

बीता हुआ लम्हा बिसर क्यों नहीं जाता?

 

सालों से इस तिशनगी में सुलग रहा

आख़िर भरा गुबार बिफर क्यों नहीं जाता?

 

ख्व़ाब के अब्र पर धुंधला सा तेरा अक्स

सहर के आगाज पर बिखर क्यों नहीं जाता?

 

मंजिले अब पूछती हैं राह दीवाने की

किसी मुकाम पर निखर क्यों  नहीं जाता?


एकहांके आसरे पर चलता रहाअमर

आशिकी का जख्म सिफर क्यों नहीं जाता?

-अमर कुशवाहा

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