Thursday, April 5, 2018

एक दीया

एक फ़लक पर सूर्य बैठा एक फ़लक पर चंद्रमा
दोनों के प्रेम-मनुहार के मध्य बैठा था आसमाँ
जब कभी चुपके से सूरज चाँद से मिलने गया
जाने किस बात पर लाल हो उठता है आसमाँ।

हम कभी भी अब आसमाँ से गुहार लगायेंगे
चुपके से जलाकर एक दीया उजाले में सो जायेंगे
ग़र आसमाँ को है ग़ुरूर अपनी अँधेरी घटाओं पर
छोटा सही पर एक दीये से उजाले भी लहरायेंगे।

श्याम रंग आसमाँ के जब एक दिन ढ़ल जायेंगे
जिस फ़लक पर सूर्य होगा उसी फ़लक पर चंद्रमा
हम आग़ोश में होंगे कहीं बैठे उजाले की छाँव में
और बुझ गये दीये की कहानी गुनगुनाते जायेंगे।


-अमर कुशवाहा

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