Wednesday, July 9, 2014

किसको अपना कहें?

मैंने काँटों को नरमी से छुआ है अक्सर

लोग बेदर्द हैं कि फूलों को मसल देते हैं!

 

सफ़र लंबा हो तो तनहा चलना ही अच्छा

अक्सर रौशनी में लोग साया भी खो देते हैं!

 

सवालात ही किया बात किया कुछ भी

पाकर के सामने तुम्हें हम ख़ुद ही रो देते हैं!

 

वफ़ा--चराग़ से जब रोशन किया जहाँ में

जफ़ा के तीर आकर हवा बिखेर देते हैं!

 

अमरकिसको कहे अपना इस दुनिया में

मुस्करा के बार-बार लोग दिल तोड़ देते हैं!


-अमर कुशवाहा

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