Monday, March 23, 2020

बिछड़ा-पुराना...


तेरा मिल सकने का बहाना याद आता है

क्या तुम्हे भी कोई बिछड़ा-पुराना याद आता है?

 

हुयी जब धुप थी तीखी और परेशां सा मैं था

तेरा लोरी गाकर मुझको सुलाना याद आता है!

 

तेरी तस्वीर जब देखूं तो मुझमें साँस आती है

तेरा सुर्ख आँखों में काजल लगाना याद आता है!

 

कभी जब झीनी झरोखों से हवा गुजर कर आती है

तेरे होंठों पर जो था बिखरा तराना याद आता है!


हिचकी कभी आये तोअमरअब चौंक उठता है

तेरा वो छिप-छिप कर मुझको डराना याद आता है!


-अमर कुशवाहा

2 comments:

Anonymous said...

Love your work Amar❤️

AMAR KUSHAWHA, IAS said...

Thanks a lot.